कोई राज्य हाईवे कैसे बंद कर सकता है

Estimated read time 1 min read



कोई राज्य हाईवे कैसे बंद कर सकता है

सर्वोच्च अदालत ने हरियाणा सरकार से अंबाला के पास शंभू बॉर्डर पर लगाए अवरोधक हटाने का निर्देश दिया है। अदालत ने राजमार्ग को अवरुद्ध करने के अधिकार पर भी प्रश्न उठाए। कोई राज्य हाईवे को कैसे बंद कर सकता है। यातायात नियंत्रित करने को उसका दायित्व बताते हुए अदालत ने कहा कि किसान भी देश के नागरिक हैं। उन्हें खाना दीजिए, चिकित्सकीय देखभाल कीजिए। पीठ ने कहा वे आएंगे, नारे लगाएंगे, वापस चले जाएंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा, किसान मजदूर मोर्चा द्वारा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली चलो की घोषणा के बाद हरियाणा सरकार ने फरवरी में अंबाला-नई दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग में बैरीकेड्स लगा दिए थे।

शीर्ष अदालत हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। जैसा कि फरवरी में प्रदर्शनकारी किसानों और हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों के दरम्यान हुई झड़प में हुई किसान की मौत की जांच के लिए उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में पैनल गठित करने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार का कहना है कि 400-500 किसान पंजाब की तरफ बैठे हैं।

सबसे बड़ी अदालत की नाराजगी उस यातायात अव्यवस्था के कारण है, जिससे जनता को हर रोज जूझना पड़ता है। इस पर हैरत नहीं होती कि सरकारें किस बेरुखी से व्यस्त सडक़ों पर अवरोधक लगाने के आदेश जारी कर देती हैं। पांच महीनों से ऐसी सडक़ को बाधित रखना, जिसका प्रयोग ढेरों लोग नियमित तौर पर करते हैं।

यहां तो किसानों के उग्र आंदोलन की दलील दी जा सकती है जबकि देखने में आता है कि राजनेताओं की सुविधा और उनके कार्यक्रमों के मद्देनजर देश भर में अवरोधकों के धड़ल्ले से उपयोग होते रहते हैं। अदालतों की कड़ी टिप्पणियों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती।
सरकारी आदेशों या नियमों के विरोध का हक नागरिकों से छीना नहीं जा सकता। उन्हें काबू में रखने के तरीके मानवीय और व्यावहारिक भी हो सकते हैं। बात नाराज किसानों की ही नहीं है, बल्कि सडक़ को लंबे समय तक बंद रखने और वैकल्पिक व्यवस्था देने में कोताही की भी है। उम्मीद की जानी चाहिए अदालत के इस आदेश से सरकारें सीख लेंगी और भविष्य में अवरोधकों का बेजा प्रयोग थम जाएगा।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours